बैलों का क्या कसूर…गुनाह मालिक का और कैद में बेजुबान, गम में खाना-पीना छोड़ा

‘दो बैलों की कथा’…मुंशी प्रेमचंद की आपने जरूर सुनी होगी. कहानी हीरा और मोती नाम के बैलों और उनके दयालु मालिक झूरी की है. इसमें खेतों के जानवरों के लिए हमारे समाज का नजरिया बताया गया है. कुछ इससे मिलती जुलती कहानी बिहार से आई है, लेकिन यह स्टोरी थोड़ी सी अलग है. यहां बैलों को बेकसूर ही कस्टडी में भेजा गया है और इन बैलों के इतना दुख हुआ है कि इन्होंने खाना-पीना तक छोड़ दिया है.

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